पार्किन्संस और जीवन शैली - 8
जब यह पता लगता कि व्यक्ति को पार्किन्संस हो गया है तो उसे भय, निराशा, चिंता होना स्वाभाविक है। व्यक्ति भविष्य की आशंकाओं से डर कर परेशान हो जाता है। लेकिन मरीज और उसका परिवार भय और आशंकाओं से उबर कर जितनी जल्दी अपने जीवन में सकारात्मक सुधार ला कर इस बीमारी से निबटने की तैयारी करेंगे उतनी ही जल्दी उनका जीवन वापिस पटरी पर लौटेगा और भविष्य में होने वाली समस्याओं को नियंत्रित किया जा सकेगा। जीवन खत्म हो गया, अब क्या करेंगे की बजाय जीवन एक चुनौती है जम कर सामना करेंगे की ओर चलें। पूरे चौबीस घंटे का शेड्यूल बनाएं और उसका सख्ती से पालन करें क्योंकि अब गलती करने की गुंजाइश नहीं होती है। यदि मरीज खुद उतना मोटिवेटेड नहीं है तो घर का कोई एक सदस्य आगे बढ़कर यह जिम्मेदारी ले और बाकी सदस्य उसको सहयोग करें। मरीज की जिम्मेदारी आपस में सोच-विचार करके किसी एक सदस्य को लेनी चाहिए और बाकी को उसकी मदद करनी चाहिए। कई बार आपस में कोऑर्डिनेशन न होने पर परिवार के सदस्य दिल से भला चाहने पर भी मरीज की उतनी मदद नहीं कर पाते जितनी उनकी क्षमता होती है। जहाँ तक संभव हो प्राकृतिक वातावरण में रहने की को...