पार्किन्संस की बीमारी - 4

 

पार्किन्संस का कारण 

पार्किन्संस के कारणों के बारे में अभी तक कोई भी ठोस जानकारी नहीं है लेकिन निम्नलिखित कारकों का थोड़ा-बहुत प्रभाव माना जाता है :-

जीन्स - शोधकर्ताओं ने कुछ ऐसी जीन्स का पता लगाया है जो पार्किन्संस के लिए जिम्मेदार हैं। लेकिन यह सिर्फ उन्हीं कुछ मामलों में होता जहाँ परिवार में पार्किन्संस का अच्छा-खासा इतिहास है। बाकी मामलों में जीन्स के माध्यम से कोई भी सटीक भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। 

वातावरण संबंधी कारक - कुछ टॉक्सिक तत्वों के संपर्क आने से बाद में पार्किन्संस का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन इनका प्रभाव सीमित ही है।   

पार्किन्संस के रिस्क फैक्टर  

किसे पार्किन्संस होगा इसकी ठोस भविष्यवाणी करना असंभव है। फिर भी कुछ रिस्क फैक्टर हैं।

आयु - आयु बढ़ने के साथ पार्किन्संस होने का खतरा बढ़ता जाता है। आमतौर पर यह 60 साल की आयु के बाद ही होता है। 

लिंग - पुरुषों को पार्किन्संस होने का खतरा महिलाओं से ज्यादा होता है। 

आनुवंशिक - यदि आपके किसी नजदीकी परिवारजन को पार्किन्संस है तो आपको इसे होने का खतरा थोड़ा बढ़ जाता है। लेकिन यह खतरा सीमित ही होता है जब तक यह आपके परिवार या रिश्तेदारी में यह अनेक लोगों को न हो जाए।

टॉक्सिक तत्वों के साथ संपर्क - कुछ जहरीले तत्वों जैसे कीटनाशी, खरपतवारनाशी के लगातार संपर्क में आने से पार्किन्संस होने का खतरा थोड़ा बढ़ जाता है। लेकिन इसका प्रभाव भी सीमित ही है। 

पार्किन्संस से होने वाली जटिलताएं 

पार्किन्संस के कारण अनेक प्रकार की जटिलताएं पैदा होती हैं। 

खाने में समस्या - इस बीमारी में मरीज को चबाने और निगलने में कठिनाई आ सकती। मुँह में लार जमा हो सकती जो अनियंत्रित हो कर बाहर बहती रहती।

चलने और संतुलन की समस्या - चलने में कठिनाई और गिर जाना इस बीमारी की एक बड़ी समस्या है। मरीज कहीं भी गिर कर घायल हो सकता, या उसे गंभीर चोटें भी लग सकती। 

मानसिक समस्याएं - इस बीमारी में अनेक मानसिक समस्याएं भी पैदा हो जाती है जैसे याददाश्त कमजोर होना, तरह-तरह के विभ्रम (लोगों, घटनाओं आदि से संबंधित वहम) होना, भावनाओं में असंतुलन होना और ठीक से सोचने में कठिनाई होना आदि। 

पाचन की समस्याएं - इस बीमारी के कारण कब्ज, दस्त आदि समस्याएं होती रहती हैं। 

मूत्र संबंधी समस्याएं - मूत्र त्याग से संबंधित समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। मूत्र त्यागने में कठिनाई हो सकती या मूत्र को रोकना मुश्किल हो जाता है। 

कमजोरी - कुछ भी करने में कमजोरी का अनुभव होता है जो धीरे-धीरे बढ़ता जाता है।  

यौन कमजोरी - कई मरीजों में यौन इच्छा में कमी आ जाती है या उनको यौन संबंध बनाने में कठिनाई आने लगती है। 

रक्त चाप में गिरावट - अचानक ब्लड प्रेशर में कमी आने से कई तरह की समस्याएं पैदा हो जाती हैं। 

दर्द - मरीज को किसी खास हिस्से या पूरे शरीर में दर्द का एहसास हो सकता है।

क्रमशः 

(डिस्क्लेमर : यह लेख श्रंखला सामान्य जानकारी और जागरुकता के लिए लिखी जा रही है। किसी तरह की चिकित्सकीय सहायता के लिए कृपया विशेषज्ञ से संपर्क करें।)   

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