पार्किन्संस की बीमारी - 5
पार्किन्संस का निदान या डायग्नोसिस
कोई भी ऐसा परीक्षण, टेस्ट या उपकरण नहीं है जिससे पार्किन्संस का पता लगाया जा सके। लक्षणों के आधार पर न्यूरोलॉजिस्ट इसका निर्धारण करता है। कई रोग इससे मिलते-जुलते लक्षणों के भी हो सकते जिनमें एक न्यूरोलॉजिस्ट ही भेद कर सकता है। इसलिए सबसे जरूरी है कि पार्किन्संस का कोई भी लक्षण या लक्षणों के समूह का हल्का सा भी अंदेशा होने पर तत्काल न्यूरोलॉजिस्ट से मिल कर रोग का निदान किया जाए। कभी-कभी न्यूरोलॉजिस्ट स्थिति को बेहतर ढंग से समझने के लिए कुछ ब्लड टेस्ट, एमआरआई आदि की सलाह दे सकते हैं । इसके अलावा पार्किन्संस के उपचार के लिए दी जाने वाली दवाओं से मरीज के लक्षणों में कमी आना भी डायग्नोसिस को सही साबित करता है।
पार्किन्संस का उपचार
दुःख की बात यह है कि अभी तक पार्किन्संस को ठीक करने वाला कोई उपचार नहीं मिल पाया है। लेकिन दवाओं से लक्षणों में कमी आ जाती है और मरीज लम्बे समय तो अपने रोग को मैनेज कर सकता है। इसमें आमतौर पर न्यूरोलॉजिस्ट निम्मलिखित दवाओं का प्रयोग करते हैं:-
- ऐसी दवाएं जो मस्तिष्क में डोपामिन का स्तर बढ़ा देती हैं।
- गति करने के अलावा जो समस्याएं होती हैं उनमें राहत देने के लिए दवाएं।
- मस्तिष्क के अन्य रसायनों को प्रभावित करके मरीज को राहत देने वाली करने वाली दवाएं।
- मरीज के मानसिक लक्षणों में आराम देने वाली दवाएं।
- कुछ सप्लीमेंट भी साथ में दिए जाते हैं।
इसके अलावा कई सहायक उपायों जैसे फिजियोथेरेपी, व्यायाम, ऑक्यूपेशनल थेरेपी, काउन्सलिंग, पौष्टिक भोजन आदि को भी साथ में अपनाया जाता है।
क्रमशः
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