पार्किन्संस की बीमारी - 2
पार्किन्संस के लक्षण
पार्किन्संस के शुरुआती लक्षणों को पहचानना आसान नहीं है। उनको अक्सर बढ़ती उम्र, कमजोरी आदि के लक्षण मान लिया जाता है और काफी बढ़ जाने बाद ही बीमारी का पता चलता है। पार्किन्संस से मिलते जुलते लक्षणों का उल्लेख काफी प्राचीन ग्रंथों में भी है लेकिन इस बीमारी का नाम जेम्स पार्किन्संस के नाम पर रखा गया जिन्होंने 1817 में पहली बार इसे स्नायु तंत्र की एक बीमारी के रूप में प्रस्तुत किया।
प्रमुख तौर पर पार्किन्संस के लक्षण निम्नलिखित हैं :-
कंपन - यह पार्किन्संस का सबसे जाना-पहचाना लक्षण है। यह किसी भी अंग में हो सकता है, यहाँ तक कि सिर्फ एक ऊँगली में भी हो सकता। लेकिन यह जरूरी नहीं कि यह सभी मरीजों हो।
धीमा हो जाना - काम करने, चलने, कुर्सी से उठने या कोई और गतिविधि करने की गति में कमी आना या थकावट का अनुभव होना एक आम लक्षण है। कई बार यह शुरू में ही नोटिस होता और कई बार यह बाद में बढ़ता है।
मांसपेशियों की लचक में कमी - शरीर के किसी भी भाग की माँसपेशी में कड़ापन आ जाना, उसका स्वाभाविक लोच कम हो जाना। यह दर्द के साथ भी हो सकता और दर्द के बगैर भी।
स्वचालित रूप से होने वाली गतिविधियों में कमी - शरीर की अनैच्छिक क्रियाओं में कमी आ जाती है, जैसे पलकें झपकाना, चलते हुए बाहें हिलना या अनायास मुस्कराना।
मुद्रा और संतुलन में गड़बड़ी - शरीर की मुद्रा में गड़बड़ी आ जाती और शरीर आगे की ओर झुक सा जाता है। संतुलन बनाने में कठिनाई होती और व्यक्ति गिरने भी लगता।
चेहरे के भावों में बदलाव - चेहरे के भावों में बदलाव आ सकता है, चेहरा भावहीन हो सकता।
बोलने में बदलाव - बोलने का तरीका बदल सकता, बोलने में हिचकिचाहट हो सकती, सामान्य उतार-चढ़ाव की बजाय एक ही टोन में हो जाता, समझने में दिक्कत आ सकती या आवाज अजीब ढंग से मुलायम भी हो सकती।
लिखने में बदलाव - लिखने में परेशानी हो सकती और राइटिंग में बदलाव आ सकता।
मानसिक लक्षण - उपरोक्त लक्षणों के साथ कुछ मानसिक लक्षण भी हो सकते जैसे याददाश्त में कमी (डिमेंशिया), विभ्रम (हेल्युसिनेशन), अवसाद (डिप्रेशन), अनावश्यक भय, दुश्चिंता (एंग्जायटी), प्रेरणा का अभाव आदि।
किसी मरीज में उपरोक्त सभी लक्षण हो सकते और किसी में कोई एक या एक से ज्यादा। जरूरी बात यह है कि यदि बिना किसी प्रत्यक्ष कारण के किसी व्यक्ति के व्यवहार, चलने-फिरने, उठने-बैठने या काम करने के तरीके में कोई फर्क आए तो उसे तुरंत किसी न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करके अपने रोग का निदान या डायग्नोसिस करवाना चाहिए।
क्रमशः
(डिस्क्लेमर : यह लेख श्रंखला सामान्य जानकारी और जागरुकता के लिए लिखी जा रही है। किसी तरह की चिकित्सकीय सहायता के लिए कृपया विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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