पार्किन्संस और भोजन - 7


जब किसी को पता चलता है कि उसे पार्किन्संस हो गया है तो वह बदहवासी में हर तरह के उपायों की तरफ जाता है, हर प्रकार के विशेषज्ञों का दरवाजा खटखटाता है। उसकी परेशानी और भय का लोग फायदा भी उठाने लगते हैं, और इसी दौर में आते हैं भोजन विशेषज्ञ, डायटीशियन और खाने के जादूगर जो भोजन से हर समस्या चुटकियों में हल कर देते हैं। वह दावा करते हैं कि उनकी सलाह से भोजन करने, खास तरह के सुपरफूड लेने से सारी बीमारी गायब हो जाएंगी और वह मरीज मैराथन में भाग लेने लायक हो जाएगा। 

वास्तविकता यह है जब तक हमको पार्किन्संस का पता चलता है उसके लिए जिम्मेदार कोशिकाएं काफी हद तक नष्ट हो चुकी होती हैं या उनमें गड़बड़ी आ चुकी होती है। अभी तक हमारे पास कोई ऐसा तरीका नहीं है जिससे हम उनको वापिस ठीक कर सकें, चाहे हम कोई भी सुपरफूड खा लें या किसी भी तरफ का डाइट प्लान फॉलो कर लें। लेकिन इसका यह मतलब भी नहीं कि इस बीमारी में भोजन का कोई महत्व नहीं है। सही भोजन मरीज को कई तरह की समस्याओं से बचाता है और बीमारी के गंभीर होने की गति को धीमा करने में भी बाकी उपायों के साथ योगदान देता है।

पार्किन्संस के मरीज के खाने-पीने में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए :-

  • पार्किन्संस के मरीज का पाचन तंत्र कमजोर होने लगता है इसलिए न तो उसे एक बार में ढेर सारा भोजन करना चाहिए और न ही पूरे दिन खाते रहना चाहिए। खाने पीने का क्रम सुबह आठ बजे शुरू करके रात्रि आठ बजे तक खत्म कर लेना चाहिए। 
  • दिन की शुरुआत फलों से करना पाचन तंत्र को आराम देता है और शरीर को अपनी जरूरत के लिए विटामिन, मिनरल और फायटोकेमिकल्स मिल जाते हैं।  
  • फलों के बाद भूख लगने पर सलाद खाना काफी लाभप्रद होता है। इससे पाचन तंत्र को तो लाभ होता ही है पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व और फाइबर भी मिलते हैं। इनके साथ अंकुरित चीजें खाना भी अच्छा होता। यदि खाने में कठिनाई होती हो तो सलाद को बारीक टुकड़ों में काट सकते। कुछ खास मामलों में सब्जियों का सेमी-होल जूस भी दिया जा सकता है जब मरीज किसी भी रूप में सलाद नहीं खा पा रहा हो। 
  • उसके बाद दोपहर के भोजन में अलग-अलग अनाज होल रूप में (जैसे दलिया), दालों और सब्जी के साथ खिचड़ी और दलिये के रूप में खाना स्वादिष्ट भी होता, भूख भी लंबे समय तक शांत होती और शरीर की पूर्ति भी होती। 
  • रात्रि के भोजन में उबली सब्जियां में अलग-अलग तरह की चटनी मिला कर या सब्जियों का सूप आदि लेना ठीक रहता।  
  • डेरी उत्पाद से बचा जाए तो ठीक रहता क्योंकि कुछ शोधों में यह बात सामने आ रही है डेरी उत्पाद हमारे शरीर  के लिए ठीक नहीं होते और वे पार्किन्संस के मरीज की समस्या बढ़ा सकते। अभी इस बारे में कोई निश्चित राय तो नहीं बनी है लेकिन डेरी उत्पाद कम करने या छोड़ने से लाभ होता देखा गया है। (https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5496517/)
  • विज़िबल फैट को कम या संभव हो तो बंद करके सेहतमंद इनविजिबल फैट को भोजन में शामिल करना अच्छे परिणाम देता है। इसके लिए उचित मात्रा में नारियल, बीजों और मेवे का सेवन लाभ पहुंचाता है। 
  • प्रोटीन भी पौधों से प्राप्त स्रोतों से ही लिया जाए तो शरीर में कोलेस्ट्रॉल भी नियंत्रण में रहता और अतिरिक्त फैट जाने से भी बचाव होता।
  • रिफाइन किए भोजन, चीनी, मैदा, पैकेट बंद और फैक्ट्री में बने भोजन से पूरी तरह परहेज करना ही ठीक है। 
  • पानी का उचित मात्रा में सेवन भी जरूरी है। 
इस लेख श्रंखला की अगली और अंतिम किश्त में हम कुछ जीवन शैली संबंधी बदलावों पर बात करेंगे जिनसे पार्किन्संस के मरीज को काफी लाभ हो सकता है। 

क्रमशः 

(डिस्क्लेमर : यह लेख श्रंखला सामान्य जानकारी और जागरुकता के लिए लिखी जा रही है। किसी तरह की चिकित्सकीय सहायता के लिए कृपया विशेषज्ञ से संपर्क करें    

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